कभी महसूस किया है
अपने हाथों से किसी के हाथ का छूट जाना
साथ मे डूबता हुआ सा दिल
जिसका आँखों मे नमी बन कर उमड़ आना
धीरे धीरे से खिसकते वो हाथ
हर पल मे कितनी यादें लिए जाती हैं
वक़्त है की ठहरता ही नही
उधर जज़्बातों की बाड़ सी आती है
वो उंगलियों का टकराना एक आखरी बार
वो सिहरन, वो उदासी, वो गूँजता सन्नाटा
याद है तुम्हे भी क्या वो हाथों का छूट जाना
और डूबते हुए दिल का आँखों से उमड़ आना
one of the best I ever read.. just fell right into the depth of it... and got myself into one of those moods.. kept thinking for a very long time, then decided to write it down.. had hardly tried hindi recently but this piece inspired me..will be posting it..
ReplyDeleteSincere apologies for incorrect grammar in thr first two lines of verse 2.
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