ये रास्ता तो घर को ही जाता थाजाने किसके कुचे मे चले आए
कितनी हसरतें थी कुछ पहचाने चेहरों कीजाने किसकी बारात में चले आए
ये जो गली जाती है इसमे आज भी एक जानी सी खुश्बू है कुछ आहटें हैं पहचानी सीजिसकी सुकून की तलाश मे खींचे चले आए
इस छज्जे तले एक बचपन गुज़रा हैमा की आँचल की ठंडक आज भी हैबाबा के नर्म सख़्त आवाज़ की गूँज भीतभी दिल को थाम फिर चले आए
ये रास्ता तो घर को जी जाता थाजाने किसके कुचे मे चले आएहै सबकुछ अपना सा यहाँ मगरपरदेसीयों की बस्ती मे हम कैसे चले आए
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