Saturday, 25 April 2009

The way home

ये रास्ता तो घर को ही जाता थाजाने किसके कुचे मे चले आए
कितनी हसरतें थी कुछ पहचाने चेहरों कीजाने किसकी बारात में चले आए
ये जो गली जाती है इसमे आज भी एक जानी सी खुश्बू है कुछ आहटें हैं पहचानी सीजिसकी सुकून की तलाश मे खींचे चले आए
इस छज्जे तले एक बचपन गुज़रा हैमा की आँचल की ठंडक आज भी हैबाबा के नर्म सख़्त आवाज़ की गूँज भीतभी दिल को थाम फिर चले आए
ये रास्ता तो घर को जी जाता थाजाने किसके कुचे मे चले आएहै सबकुछ अपना सा यहाँ मगरपरदेसीयों की बस्ती मे हम कैसे चले आए

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